Thursday 31 August 2017

August 2017 pashchimi ujala

अपत्ति- कुरआन में चन्द्रमा पर मानव पदार्पण का और अन्तरिक्ष में खोज की उपलब्धियों का वर्णन नही है।

उत्तर- यह वर्णन भी देख लिजिए- ‘हे जिनों और मनुष्यों की टोलियों! अगर तुम समझते हो कि आकाश और पृथ्वी के व्यासों  संकेत है, गुरूत्वाकर्षण की सीमा की ओर व पृथ्वी व अन्य ग्रहों के गोल होने की ओर भी ) में से गुजर कर पार निकल सकते हो तो ऐसा कर देखा (अतिरिक्त) बल







 
 के प्रयोग के बिना नही कर सकोगे। अब तुम अपने प्रभु के किन-किन वरदानों को झुठलाये जाआगे। (55ः33ः34)। शक्ति तथा वेग के नियमों पर आधारित उपकरणों की सहायता से एक दिन पृथ्वी व अन्य ग्रहों के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र में से गुजरना सम्भव होगा, यह संकेत कुरआन कर चुका था। उस काल मे जो वाहन मौजूद थे उनके अतिरिक्त अन्य वाहनों की खोज होगी, यह भी कुरआन ने बता दिया था ‘अल्लाह ने घोडे़, खच्चर, गधे, तुम्हारे वाहन और शोभा के लिये उत्पन्न किये और वह (इनके अतिरिक्त ऐसे वाहन) उत्पन्न करेगा जिनका तुम्हें अभी ज्ञान नही है’ (16ः8)। इन वाहनों पर सवार होकर चन्द्रमा पर पहुंचने का वर्णन देखिये। ‘पूर्ण हो जाने वाला चन्द्रामा गवाह है कि तुम अवश्य इस धरती से दूसरी धरती तक सवारी पर सवार होकर जाओगे। (यह चमत्कार देख लेने के बाद) फिर इन्हें अब क्या हो गया कि ईमान नही लाते। (84ः18,19,20)। अन्तरिक्ष विज्ञान अनुसंधान ने वर्तमान में जो कुछ सिद्ध किया है तथा जिसका वर्णन 1500 वर्ष पूर्व किसी मनुष्य की जबान से संभव नही था उसे कुरआन की जबान में सुनिये-‘सूर्य चन्द्रमा को अपनी ओर खींच नही सकता और न दिन रात से आगे निकल सकता, यह सब एक कक्षा में अपनी गति के साथ चल रहे हैं।’ (36ः40)। दिन के रात से आगे निकलने के शब्द देखिये, पृथ्वी से उंचाई पर जा कर देखा जाये तो इस दृश्य का इन्हीं शब्दों में उल्लेख किया जा सकता है कि दोनों एक दूसरे का पीछा कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त आयत में ‘यसबहून’ शब्द है जिसका अर्थ है कि वह अपनी गति के साथ चल रहा है अर्थात आयत में बता दिया गया कि सूर्य चन्द्रमा और पृथ्वी अपने-अपने धुरे पर घूम रहे हैं और इस गति के साथ-साथ अपनी-अपनी कक्षाओं  में भी धूम रहे हैं। बीसवीं शताब्दी में आकर विज्ञान ने बताया कि सूर्य अपने धुरे  पर चक्कर 25 दिन में पूरा करता है और अपनी कक्षा  में 125 मील प्रति सेकेण्ड (7,20,000 कि.मी. प्रति घन्टे) की गति से चलते हुए एक चक्कर 25 करोड़ वर्ष में पूरा करता है। आधुनिक वैज्ञानिक शोध ने हब यह बताया है कि सूर्य व चन्द्रमा की जीवन अवधि एक दिन समाप्त हो जायेगी और यह कि सूर्य कए विशेष दिशा में भी बहा चला जा रहा है। आज विज्ञान ने उस स्थान को निश्चित भी कर दिया जहां सूर्य जाकर समाप्त होगा। उसे सोलर एपेक्स  का नाम दिया गया है और सूर्य उसकी ओर 12 मील प्रति सेकेण्ड की गति से बढ़ रहा है। अब ज़रा बीसवीं शताब्दी के इन अनुसंधानांे को कुरआन की दो आयतों में देखे- ‘क्या तुमने इस पर दृष्टि नही डाली की अल्लाह रात को दिन में और दिन को रात में प्रवेश करता रहता है। सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है। हर एक, एक निश्चित समय काल तक ही चलेगा (और जब अल्लाह ऐसा सर्वशक्तिमान और सर्व ज्ञानी है तो) अल्लाह तुम्हारे सारे कर्मों की जानकारी भी रखता है।’ (31ः29)। इस आयत में एक निश्चित समय तक सूर्य और चन्द्रमा की जीवन अवधि का उल्लेख किया गया है और अब सूर्य के एक विशिष्ट स्थान की ओर खिसकने का वर्णन-’और एक निशानी यह भी है कि सूर्य अपने लक्ष्य की ओर चला जा रहा है। यह एक अथाह ज्ञान वाले (अल्लाह) का निश्चित किया हुआ हिसाब है।’ (36ः38)। यह आकाश गंगा, सौर मण्डल तथा पृथ्वी व आकाश कैसे उत्पन्न हुए इस सम्बन्ध में कुरआन ने संकेत दिया था-’ फिर उसने (ईश्वर) अन्तरिक्ष की ओर ध्यान किया और वह पहले धुंआ  था।’ (41ः14)- ‘क्या इन्कार करने वाले नही देखते कि आकाश और पृथ्वी प्रारम्भ में एक देह थे फिर हमने उन्हें अलग-अलग छिटकाया और हर जीव की उत्पत्ति का आधार पानी को बनाया? क्या अब भी वह ईमान नही लायेंगे।’ (21ः30)। उपरोक्त दोनों आयतें नेब्यूला  और बिग-बैंग सिद्धान्त की ओर संकेत करती है। यह भी विशेष रूप से नोट कर लें कि इन सब आयतों में ईश्वर ने इन्कार करने वालों को ईमान लाने का निर्देश यह कहते हुए दिया कि हमारे इन चमत्कारों को देख कर भी तुम ईमान क्यों नही लाते। चैदह सौ वर्ष पूर्व यदि कोई व्यक्ति अपने सामान्य जीवन में अनुभवों पर आधारित साधारण सी बात कविता के रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत करता तो उसमें यह चुनौती भी होती कि यह साधारण बातें नही, वरन् ईश्वर का वह महान चमत्कार है जिन्हें देखक तुम्हें ईमान लाना ही चाहिए। ईश्वर ने कुरआने करीम मे फरमाया है-’ आसमानों और जमीनों में जो कुछ है, उसे हमने तुम्हारे अधीन कर दिया है और इस तथ्य में उन लोगों के लिये निशानियां हैं जो चिन्तन करते हैं।’ (45ः13)।

आपके लेख में एक पैराग्राफ है जिसका शीर्षक है-‘ भविष्य वाणी’ उसमें आपने जिन बहुत सी वस्तुओं का कुरआन में भविष्यवाणी के रूप में मौजूद न होने का दावा किया था उनमे से अधिकतर को उपरोक्त कुछ उत्तरों में दर्शाया जा चुका है। पृथ्वी व आकाश के दृश्यों की भविष्यणियों के विषय में दो उदाहरण और देख लें, परन्तु यह भी समझ लें कि शब्द भविष्यवाणी इस अर्थ में है कि कुरआन के अवतरण के समय में मनुष्य इनसे परिचित नही थे वरना यह वास्तविकताएं तो उस समय भी विद्यमान थीं-‘और वही है जिसने दो परस्पर मिले हुए दरिया बहाये। एक का पानी मीठा और खुशगवार है, दूसरे का खारा और कड़वा। इन दोनों के मध्य उसने एक अवरोध  रखा है। एक अवरोध जो उन्हें गडमड होने से रोके हुए है’। (25ः53)-‘उस (अल्लाह ) ने दो समुद्रों/दरियाओं को जारी किया जो परस्पर मिल कर चल रहे हैं और फिर भी उनके मध्य ऐसा अवरोध है कि एक का जल दूसरे पर चढ़ ही नही सकता। तो तुम अपने प्रभु के किस-किस वरदान को झुठलाओगे। उनमें से(लोग) मोती तथा मंूगें निकालेंगे’ (55ः19 से 21) बर्मा से चटगांव तक दो दरियाओं के सैंकड़ो मील तक मिल कर बहने का दृश्य देखा जा सकता है। इस विशाल यात्रा में दोनों का जल बिल्कुल अलग-अलग दिखाई देता है दोनों के मध्य एक धारी चली गई है जिसके एक ओर मीठा तथा दूसरी ओर खारा जल है। अमेरिका की मिसीसपी  और चीन के यांग जे नदियों के समुन्द्र में गिरने के स्थान पर इस दृश्य का दर्शन किया जा सकता है। जबकि एक लम्बी दूरी तक इनका मीठा जल समुन्द्र के खारे जल में मिश्रित नही होता। गंगा व जुमना के संगम पर मीलों तक देखा जा सकता है कि एक ओर नीली और एक ओर पीले जल की धाराएं साथ-साथ चली जा रही हैं और दोनों एक दूसरे के लिये यह भी भविष्यवाणी है कि उनमें से मोतियों और मंूगों का का धन निकाला जायेगा। भारत की सरकार ने अभी इस ओर ध्यान नही दिया है। जब यह धन इन नदियों से निकाला जायेगा तो कुरआन का यह चमत्कार भी लोग देखेंगे। अरब से हजारों मील दूर नदियों और सागर की इन गतियों को भी क्या रेगिस्तान के पिछड़े क्षेत्र का रहने वाला नागरिक अब से चैदह सौ वर्ष पूर्व ब्यान कर सकता था। इसी प्रकार समुन्द्र विज्ञान  के विशेषज्ञों ने बताया कि सारे समुद्रों के परस्पर मिले होने के बावजूद उनके पानी का रंग ही नही, तापमान, धनत्व, नमक की मात्रा और सूक्ष्म जीवन सभी एक दूसरे से इस प्रकार भिन्न हैं मानों उनके बीच कोई अदृश्य दीवार है।


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